पायलट बाबा की महासमाधि में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, 100 से अधिक देशों से हरिद्वार पहुंचे भक्त

पायलट बाबा की महासमाधि में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, 100 से अधिक देशों से हरिद्वार पहुंचे भक्त

Pilot Baba

Pilot Baba

Pilot Baba: महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा को आज उनकी अंतिम इच्छा अनुसार हरिद्वार के आश्रम में महासमाधि दी गई। पायलट बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए संतों व भक्तों का सैलाब उमड पडा। सभी 13 अखाडों के पदाधिकारी, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, विभिन्न दलों के नेता, देश के बड़े उद्योगपति व कारोबारी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उनके शिष्य महामंडलेश्वर साध्वी चेतनानंद गिरी महाराज व साध्वी श्रद्धा गिरी महाराज ने उन्हें समाधि दी। उसके बाद शंभू रोटए धूल लौट व तिये का कार्यक्रम हुआ।

बुधवार को मुंबई से उनका पार्थिव शरीर हरिद्वार स्थित आश्रम पहुंचा। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर को श्रद्धांजलि देने के लिए संत, श्रद्धालु और अन्य भक्तों की भारी भीड़ लगी रही।

श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा मंगलवार को मुंबई के अस्पताल में ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके पार्थिव शरीर को आश्रम लाया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनके निधन पर शोक जताया। 

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटेड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज, जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी, सचिव श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि महाराज, सचिव सहजानंद गिरी महाराज, थानापति धर्मेंद्र गिरी महाराज, प्रेमानंद गिरी महाराज, साध्वी चेतनानंद गिरी महाराज, साध्वी श्रद्धा गिरी महाराज समेत जूना अखाड़ा के महंत, श्रीमहंत, महामंडलेश्वर समेत हजारों साधु-संतों व भक्तों ने महायोगी पायलट बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कौन थे पायलट बाबा

पायलट बाबा का जन्म बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनका पुराना नाम कपिल सिंह था। बाबा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका भारतीय वायु सेना में चयन हुआ। बाबा यहां विंग कमांडर के पद पर थे। बाबा 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में सेवा दे चुके हैं। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।